मौर्योत्तर काल
ब्राम्हण साम्राज्य -
शुंग वंश
कण्व वंश
सातवाहन वंश
चेदी वंश
शुंग वंश (185 ई० पू० से 73 ई०पू०)
प्र०1. शुंग वंश की स्थापना किसने की थी?
उत्तर - शुंग वंश की स्थापना 185 ई०पू० में ब्राह्मण मौर्य सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या करके की गई थी।
प्र०2. शुंग शासकों ने अपनी राजधानी कहां स्थापित की थी?
उत्तर - शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की थी।
प्र०3. . . . शुंग वंश के इतिहास के विषय में जानकारी के मुख्य स्रोत कौन-कौन से थे?
उत्तर - शुंग वंश के इतिहास के विषय में जानकारी के मुख्य स्रोत निम्न -
बाणभट्ट कृत हर्षचरित
पतंजलि कृत महाभाष्य
कालिदास कृत मालविकाग्निमित्रम्
बौद्ध ग्रंथ दिव्या वरदान एवं
तिब्बती इतिहासकार तारानाथ का विवरण।
प्र०4 इंडो यूनानी शासक मिनांडर को किसने पराजित किया था?
उत्तर - इंडो यूनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र शुंग ने पराजित किया था।
प्र०5 पुष्यमित्र शुंग ने कौन - सा यज्ञ किया और कितने बार किया?
उत्तर - पुष्यमित्र शुंग अश्वमेध यज्ञ दो बार किया। इन यज्ञों के पुरोहित पतंजलि थे।
प्र०6 मनुस्मृति की रचना कब हुई थी?
उत्तर - मनुस्मृति की रचना शुंग काल में हुई थी।
प्र०7 भरहूत स्तूप का निर्माण किसने करवाया था?
उत्तर - स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया था।
प्र०8 शुंग वंश का अंतिम शासक कौन था?
उत्तर- शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था, इसकी हत्या 73 ई०पू० में वासुदेव ने कर दी। और मगध की गद्दी पर कण्व की स्थापना की थी।
नोट:
- इस काल को वैष्णव धर्म के उत्थान का काल भी कहा जाता था।
- मालविकाग्निमित्रम् में अग्निमित्र और मालविका की प्रेम कहानी का वर्णन है।
- इस काल में स्तूप में पाषाण के रेलिंग बनाए जाने लगे।
कण्व वंश (73 ई०पू० से 28 ई० पू०)
प्र०1 कण्व वंश के संस्थापक कौन थे?
उत्तर - कण्व वंश के संस्थापक वासुदेव थे।
प्र०2 कण्व वंश का अंतिम राजा कौन थे।
उत्तर - कण्व वंश का अंतिम राजा सुर्शमा थे।
नोट:
- कण्वों के शासनकाल में मगध की सीमा सिमटकर बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश तक रह गई थी।
- कण्ववंशी राजाओं के बारे में विस्तृत जानकारी का अभाव है । कुछ सिक्के ऐसे मिले हैं जिन पर भूमिमित्र खुदा है, जिनसे यह अनुमान लगाया जाता है कि इसी काल में जारी किए गए होंगे।
सातवाहन वंश (60 ई० पू० से 250 ई०पू०)
प्र०1 सातवाहन वंश भारत के कौन से क्षेत्र से आए थे?
उत्तर - सातवाहन वंश भारत के दक्षिणी क्षेत्र से आए थे।
प्र०2 पुराणों में इसे किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर - पुराणों में इस राजवंश को आंध्र भृत्य एवं आंध्र जातीय कहा गया था। यह इस बात का सूचक है। कि जिस समय पुराणों का संकलन हो रहा था, सातवाहनों का शासन आंध्रप्रदेश में ही सीमित था।
प्र०3 सातवाहन वंश का संस्थापक कौन था ?उत्तर - सातवाहन वंश का संस्थापक शिमुक था।
प्र०4 सातवाहन वंश अपनी राजधानी कहां बनाए थे ?
उत्तर - सातवाहन वंश अपनी राजधानी प्रतिष्ठान को बनाए थे ।
प्र०5 सातवाहन वंश के प्रमुख शासक कौन-कौन थे?
उत्तर - सातवाहन वंश के प्रमुख शासक निम्नलिखित थे -
शिमुक,
गौतमीपुत्र शातकर्णि,
वशिष्ठीपुत्र,
पुलुमावी तथा
यज्ञश्री शातकर्णि।
प्र०6 निम्न में से सबसे शक्तिशाली शासक कौन था?
उत्तर - गौतमीपुत्र शातकर्णि को सबसे शक्तिशाली शासक माना जाता था।
प्र०7 गौतमीपुत्र शातकर्णितक का समय काल क्या था?
उत्तर - गौतमीपुत्र शांत करने का समय काल 106 ई० से 130 ई० तक माना जाता था।
प्र०8 सातवाहन शासको के समय के प्रसिद्ध साहित्यकार कौन थे?
उत्तर - सातवाहन शासको के समय के प्रसिद्ध साहित्यकार हाल और गुणाढ्य थे।
प्र०9 सातवाहन शासकों ने कौन-कौन से मुद्रा का प्रचलन किया था?
उत्तर - सातवाहन शासकों ने चांदी, तांबे, शीशा पोटीन और कांसे की मुद्राओं का प्रचलन किया था, सातवाहन शासकों ने सबसे अधिक शीशे के मुद्रा को प्रयोग किया था।
प्र०10 ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने की प्रथा सर्वप्रथम किस वंश ने आरंभ की थी?
उत्तर - ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने की प्रथा का आरंभ सातवाहन शासकों ने ही सर्वप्रथम किया था।
प्र०11 सातवाहनों की भाषा एवं लिपि कौन सी थी?
उत्तर- सातवाहनों की भाषा प्राकृत एवं लिपि ब्राह्मी थी।
प्र०12 सातवाहनों का समाज कैसा था?
उत्तर - सात वाहनों का समाज मातृसत्तात्मक था। परंतु राजा बनने का जो रिवाज था, वह पितृसत्तात्मक था।
प्र०13 सातवाहनों की महत्वपूर्ण स्थापित कृतियां क्या थी?
उत्तर - सातवाहनों की महत्वपूर्ण स्थापित कृतियां - कार्ले का चैत्य अजंता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण एवं अमरावती कला का विकास।
नोट:
- शातकर्णि ने दो अश्वमेध तथा एक राजसूय यज्ञ किया था।
- भूमि दान करने का साक्ष्य नानाघाट अभिलेख से मिलता है।
- सातवाहनों के समय में ही सामंती व्यवस्था शुरू हुई थी।
- सातवाहनों ने शीशे के सिक्कों का प्रचलन अधिक मात्रा में किया था।
चेदी वंश
- मौर्य साम्राज्य के अवशेषों पर जिन राज्यों का उदय हुआ, उनमें कलिंग के चेत या चेदिवंश भी है। जिस समय दक्कन में सातवाहन शक्ति का उदय हो रहा था, उसी समय कलिंग (ओडिशा) में चेत या चेदि राजवंश का उदय हुआ।
- वेसन्तर जातक एवं मिलिंदपन्हो में चेति-राजकुमारों का उल्लेख मिलता है।
- चेदि वंश का सबसे प्रमख राजा खारवेल था। उसके समय में कलिंग की शक्ति एवं प्रतिष्ठा में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
- कलिंग राज्य के विषय में जानकारी के महत्त्वपूर्ण स्रोत अष्टाध्यायी, महाभारत, पुराण, रामायण, कालिदास कृत रघुवंश महाकाव्य, जैन ग्रन्थ, अशोक के लेख एवं खारवेल का हाथी गुंफा अभिलेख है।
- सम्पूर्ण अभिलेख में खारवेल के विभिन्न उपाधियों जैसेऐरा, महाराज, महामेघवाहन, कलिंगचक्रवर्ती, कलिंगाधिपति श्री खारवेल तथा राजा श्री खारवेल का उल्लेख है।
- खारवेल ने जीन शीतलनाथ की मूर्ति मगध से वापस लाया जो कि पहले कलिंग का ही था।
- खारवेल ने जैन धर्मावलंबी होते हुए भी दूसरे धर्मों के प्रति सहिष्णुता की नीति अपनायी।
- खारवेल को शांति एवं समृद्धि का सम्राट, भिक्षुसम्राट एवं धर्मराज के रूप में भी जाना जाता था।